मिसाइल मैन
युगों- युगों ऐसा लाल
कभी-कभी ही इस
धरती पर आता है।
जो अपनी पहचान
नाम से नही,
अपने कर्म से बनाता है।
कर्म ही सबसे बड़ी पूजा है,
यह सीख हमें दे जाता है।
भारत के वे एक रत्न थे,
कई रत्नों में वह सबसे थे अनोखे।
न था उस रत्न का कोई मोल,
वह थे सबसे अनमोल
और हमेशा हम सब
के लिए रहेगें वें अनमोल।
जाति-धर्म से परे वह इंसान,
मानों मिला हो उनके रूप में
हमें ईश्वर से है वरदान।
उनके रोम- रोम में बसता था
देश के लिए प्राण।
उनका तन मन धन सब
देश के लिए था कुर्बान।
भारत के लिए वह थे भगवान,
देश के लिए किया था उन्होने,
मिसाइल और परमाणु बम का निर्माण।
वे देश के थे स्वाभिमान,
वह कोई और नहीं,
वह थे जन- जन के प्रिय
हम सब के डाॅ . अब्दुल कलाम।
जिसे हम सब मिसाइल मैन
के नाम से जानते हैं।
इस सदी के हमारे देश के
श्रेष्ठ वैज्ञानिक थे वह महान।
सब धर्मों को मानने वाले
चाहे गीता हो या हो कुरान।
न था किसी के लिए उनके मन में बैर,
न था उनके मन में अहंकार।
था तो सिर्फ सबके लिए प्यार,
और सबके लिए मन में सम्मान।
इनका जन्म १५ अक्टूबर १९३१ को,
रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ था।
बालपन में जब देखा भेद-भाव,
तो इनके मन में कई उठे थे सवाल ।
इन सवालों का हल निकालने के लिए
उन्होनें हाथ में उठाई थी किताब
और जो हल निकाल कर उन्होंने दिया।
उस पर हमें युगों – युगों तक नाज रहेगा,
और देश उनके आविष्कार के लिए,
हमेंशा ऋणी रहेगा।
किसी का दिल न दुखाने वाले,
पैर जमीं पर रखकर सपने
हमेशा ऊंचे देखने वाले।
स्वदेशी का पाठ पढाने वाले,
हर परिस्थिति मे मुस्कुराने वाले,
थे हम सब के प्रिय अब्दुल कलाम।
विज्ञान क्षेत्र मे हमेशा अभ्यास
करते रहने वाले,
हमारे इस मिसाइल मैन को
कई बार निराशा हाथ लगी।
पर इन्होंने कभी भी आस
का दामन नही छोड़ा और
हमेशा कुछ न कुछ नया करते रहे।
उनके द्वारा किए गए आविष्कार
के कारण उन्हें
भारत रत्न से नवाजा गया था।
२००२ से लेकर २००७ तक
ये राष्ट्रपति के पद पर सम्मानित रहे थे।
इस बीच उन्होंने देश के उत्थान,
के लिए बहुत काम किया था।
इनके जीवन को जितना जानिए,
इनके चरित्र को जितना समझिए,
हमेशा बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
ऐसे भारत रत्न को मेरा
शत-शत बार प्रणाम है।
~अनामिका