“मिसाइल मैन” को श्रद्धांजलि
सुना है,
आपने मिसाइल बनाई थी शायद…
क्या इसलिए आपको याद करें ?
दुश्मन खतरनाक हो
तो सुरक्षा मायने रखती है
और तब
आत्मरक्षा के लिए ही सही
हथियार जरूरी हो जाते हैं
लेकिन
क्या भूख गरीबी शोषण से मुक्ति भी
उतनी ही जरूरी नहीं थी ?
इसके लिए आपने क्या किया ?
अरे भाई
वह साइंटिस्ट थे
और गरीबी दूर करने का ठेका तो
सरकारों के पास है
फिर ऐसा प्रश्न ही क्यों ?
प्रश्न यह नही है कि
साइंटिस्ट गरीबी दूर क्यों नही करता ?
प्रश्न यह है कि
मिसाइल से पहले
पेट के मसले हल क्यों न हो पाए ?
भूख पर कोई शोध क्यों न हुआ ?
दर्द के लिए मरहम क्यों न बना ?
ऐसा आविष्कार क्यों न हुआ
जिससे रेप रुक जाते ?
ऐसा उपकरण क्यों न बना
जिससे जहालत दूर हो जाती ?
हैवानियत पर रिसर्च क्यों न हुआ ?
पलायन पर शोध क्यों न हुआ ?
बेबसी के पीछे की खोज क्यों न हुई ?
उदासियों के पीछे का राज क्यों न खुला ?
इसके लिए आपने क्या किया ?
आप करते भी कैसे ?
यह सभी समस्याएं
जिस धार्मिक सड़ांध से उपजी हैं
आप खुद आजीवन
उन्ही धार्मिक बेड़ियों में जकड़े दिखे
कुछ लोग इसे
आपका सेक्युलरिज्म कहते हैं
लेकिन मैं इसे
अव्वल दर्जे का पाखंड कहता हूँ
देश की सुरक्षा सर्वोपरी है
लेकिन
देश के भीतर
पीढ़ी दर पीढ़ी
मर खपने वाली जमातों को
भूख लाचारी बेबसी कुपोषण शोषण
भय अन्याय और भ्रष्टाचार से सुरक्षा
भी तो जरूरी है
इसके लिए
आपका योगदान
शून्य के अलावा कुछ नही !!
मैं शायद
फिर से गलती कर रहा हूँ
एक महान वैज्ञानिक से
नेतागिरी की अपेक्षा रखना
गलत है
लेकिन जब राजनीति
पंगु हो जाये
तो अपेक्षाएं
बुद्धिजिवियों से न करें तो किससे करें ?
ऊपर से तो कोई आएगा नहीं
जो छड़ी घुमाए
और सब ठीक कर दे !!
आप महान वैज्ञानिक थे
आपको सदियां याद रखेंगी
आपका जीवन संघर्ष भी
हमेशा रटा जाता रहेगा
लेकिन
आप “मिसाइल मैन” की उपाधि से ऊपर
“मिसाल मैन” कभी न हो पाएंगे.
आपको श्रद्धांजलि.
-शकील प्रेम