मिल ही जाते हैं
मिल ही जाते है यूँ ही कही राह चलते चलते।
जैसे मिल जाये धूआं आग के जलते जलते।
जमाना ले जाता है हर बात से ही फायदा।
हम ही रह जाते है बस हाथ मलते मलते।
हँसने की ये आदत थोड़ी देर मे ही होगी,
आखिर वक्त लगता है,गमो को पलते पलते।
तुम भी अब बात कर लो कोई वस्ल की यारो,
वक्त कम ही लगता है,रात को ढलते ढलते।
Surinder Kaur