मिल जायेगा जो है नसीब में
भुलाने से नहीं भूलता है ये गम
दिल लगाने से भूल जाता है
बस जाए दिल में कोई हमसफर अगर
सावन के झूलों में झूल जाता है।।
कब तक सोचते रहोगे
उसके बारे में जो तेरा है नहीं
बढ़ो आगे, है नसीब में जो तेरे
खुद ही मिल जायेगा कहीं।।
मानकर रब की रज़ा इसको
जो मिला नहीं भूल जाओ उसको
बढ़ो आगे, जीवन में अब तुम
खुद मिल जायेगा, ढूंढो नहीं उसको।।
बनाई है जोड़ियां जो रब ने
मिल ही जाती है किसी तरह
बन जाते है खुद ही रिश्ते जब
आ जाए सामने वो किसी तरह।।
नहीं मिलता कोई वक्त से पहले
नहीं रहता साथ कोई हमेशा
है दस्तूर ही ऐसा इस जीवन का
कुछ भी रहता नहीं हमेशा।।
फिर उदासी क्यों, उसके न मिलने की
जो कभी तेरा था ही नहीं
गम क्यों मना रहा उसको खोने का
जिसे तूने कभी पाया ही नहीं।