मिल गई।
फ़िलबदीह – २४९
मिसरा – जिसे मां की दुआएं मिल गई।
काफ़िया -दुआएं।
रद़ीफ़- मिल गई।
गिरह- समझो पाली उसने सारी कायनात,
जिसे मां की दुआएं मिल गई।
१)
तुमको देखा तो लगा जिंदगी मिली,
इश्क के रूप में दुआएं मिल गई।
२)
उम्र भर भटकती रही मैं बनके दिशाहीन,
आज सही राह की दिशाएं मिल गई।
३)
बागबान खिल रहा था मेरे ख्वाबों में,
नींद से जागा तो फिजाएं मिल गई।
४)
हां आशिक ढूंढ रहा था इश्क बेनज़ीर
पहली ही नज़र में अप्सराएं मिल गई।
५)
सुनो सुनाता हूं तुम्हें कल का वाकया,
मेरे दिलबर से कल निगाहें मिल गई।
६)
शाम सिंदुरी सी है आज क्यों नीलम
क्या हैं बहारों से घटाएं मिल गई।
नीलम शर्मा