मिले
मिले
चलते-चलते हमें आराम का स्थान मिले ।
कुछ समय के लिये ही जगह एक सुनसान मिले ।।
ना कोई काम दरवाजे पे कहीं दस्तक दे ।
कोई पहचान न हो जगह एक वीरान मिले ।।
नाम अपना हमें कुछ देर अकेला छोड़े ।
कोई घटना न घटे वह जगह अनजान मिले ।।
न कोई याद मिले घूमते हुये वन में ।
न अपना घर मिले और न कोई मेहमान मिले ।।
रात भर फुलझड़ी चलतीं रहे मैदानों में ।
आस्मां देखकर उनकी चमक हैरान मिले ॥
हवा शीतल हो साथ पक्षियों का कलरव हो l
भीड़ से निकले हम एक दम ही बियाबान मिले ।।
नहायें झरने में और हो बसन्त का मौसम ।
पानी चुल्लू से पियें नीला आसमान मिले ।।
मिले कुछ वाटियाँ खाने को पके कन्डों में ।
साथ में भुरता, दाल, चटनी का सामान मिले ।।