घरवाली की मार
(1.) मार-कुटाई हर समय
मार-कुटाई हर समय, रणचण्डी जयघोष
पत्नीजी क्यों आपको, मिले नहीं सन्तोष
मिले नहीं सन्तोष, सजे बेलन हाथों में
चिमटा-थापी राग, सुनाई दे रातों में
महावीर कविराय, न देखो नार पराई
हो ना घर में क्लेश, न होवे मार-कुटाई
(2.) घरवाली की मार से
घरवाली की मार से, बने साहित्यकार
पत्नी से जो ना पिटे, वो नर है बेकार
वो नर है बेकार, बना दे भक्त किसी को
पत्नी की फटकार, अमर कर दे तुलसी को
महावीर कविराय, रोज़ खा थप्पड़-गाली
पति बने वो महान, जिसे पीटे घरवाली
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