मिले नयन से नयन जब , हुई बहुत बरसात ।
मिले नयन से नयन जब , हुई बहुत बरसात ।
नहीं किसी ने कुछ कहा , पर पुलकित जज्बात।।
पर पुलकित जज्बात , मौन फिर भी ना टूटा ।
मुलाकात का दृश्य , धैर्य बरसों का छूटा ।
दिखे उन्ही के स्वप्न , स्वप्न में शयन हुआ तब ।
हुई बहुत बरसात , नयन से नयन मिले जब ।।
सतीश पाण्डेय