मिली भाँग की गोली 【बाल कविता 】
मिली भाँग की गोली 【बाल कविता 】
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टंकू-मंकू जमकर खेले
रंगों वाली होली,
एक जगह पर ठंडाई पी
मिली भाँग की गोली
जोरोँ की फिर भूख लगी तो
सौ-सौ गुँझिया खाई,
जब सोए ,अगले दिन जागे
बुरी कही ठंडाई
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रचयिता:रवि प्रकाश,बाजार सर्राफा
रामपुर(उ.प्र)
मोबाइल 9997615451