मिली पेट भर दाल
भंडारे में यार से, … मिला दर्द विकराल ।
मांगा मैने प्यार था , मिली पेट भर दाल ।
मिली पेट भर दाल, हाथ से पीटा सर को ।
आंखे अपनी मूंद, दौड़ कर लौटा घर को ।
कह रमेश कविराय, कहूं क्या इस बारे में ।
नहीं लड़ाना नैन ,……कभी भी भंडारे में ।।
रमेश शर्मा