मिला है
इस जमाने में ये सिलसिला है।
कौन दिल से किसी को मिला।।
जिसने कदमों में दिल ये रखा है।
दिल हमेशा उसी का छला है।।
यार की है तलब रोज दिल में।
पर मिलन का नहीं सिलसिला है।।
हो मुलाकात है आस इतनी।
घर से अब तक नहीं वो चला है।।
बूंद स्वाति की पी जी रहे है।
फिर भी सूखा नहीं ये गला है।।
ये “विजय” प्यार करना हमेशा।
कितनी मुश्किल से तू तो मिला है।।
विजय बेशर्म