मिलन
शीर्षक:_मिलन
खूब दौलत मिली खूब शोहरत मिली,
जहां में जो आए बहुत कुछ मिला..
तन व यौवन मिला, पुष्प जीवन खिला,
गर कुछ कम मिला, कभी सब कुछ मिला..
कम था कुछ भी नहीं, मांगते ही रहे,
बस गिनते रहे सुख तो पाया नहीं…
ऐसे मिलने मिलाने से क्या फायदा,
मन से मन का मिलन हो तो पाया नहीं…
लव लव से मिले, आह भरने लगे,
दिल से धड़कन मिली, सांस भरने लगे..
बोझिल योवन हिले और बंधन खुले,
हाथ जाने कहां पर फिसलने लगे..
तन तन से मिले, और पिघलने लगे,
दिल से दिल का मिलन हो तो पाया नहीं…
ऐसे मिलने मिलाने से क्या फायदा,
मन से मन का मिलन हो तो पाया नहीं…
बड़े आश्रम गढे खूब चेले बने,
चोला मनहर सजा, उर व माथा रंगा..
रंगत बढ़ती रही, मजमा ऐसा जमा,
रास रचाने लगे पर न मन को रंगा..
काम सर्जन किया, धन का अर्जन किया,
खुद का रब से मिलन हो तो पाया नहीं…
ऐसे मिलने मिलाने से क्या फायदा,
मन से मन का मिलन हो तो पाया नहीं…
भारतेंद्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान