मिलन
मीत
मिलन की महती महिमा
मिलो मोहब्बत से
मन मीत संग
मालिक की माया
मोहे मोरा मन
मन मचले
मोहन से मिलन को
मिलन में है मिली मिठास
मधुमय मुग्ध महके मधुमास
मधुर-मधुर तानें मधुकर की
मद्धिम-मद्धिम मुस्कान
मिलन का
मनमोहक मस्ताना
मौसम महके है मदमस्त
मुदित मंद मल्हार है शोर मचाए
मनवा में मोदक मचलें
महका-महका हो माहौल
मतवाला है मन मीत मिलन को
मृगनयनी मार्ग है निरखत
मनमीत से
मिलन के अति मधुर मधुरिम पल।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित रचना
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