मिलन
मेघराज की बदरी रानी,
मेघ-पिया ढूंढत पगलाय।
ढूंढ-ढूंढ खुद आप हिरानी,
मेघ-सजन कित गये हिराय।
श्रम-जल भीगी सारी सारी,
सारी तन से लिपटी जाय ।
सिहुर शीत जब सारी झटके,
जलमय सारी धरनि दिखाय।
मिले पिया वो खुद को भूली,
गई पिया की बाँह समाय ।
प्रिया, पिया ने बाहों भींची ,
रिमझिम रिमझिम जल बरसाय।
प्रिया-पिया आलिंगित देखा,
पगला पवन मचाये शोर ।
देखत मिलन मोर पगलाया,
संग मोरनी नाचत मोर ।