मिलन
कुछ कहने गए उनसे तो
साथ में शर्म भी चल पड़ी ।
फुरसत स बतियाएगे उनसे तो
साथ में घड़ी भी चल पड़ी।
वर्षो में मिले थे
कुछ कहने को लब खुले थे
पर शर्म ने ऑख दिखाई
तो मै तनिक शरमाई
आज नही तो कल कहेगे
हम नही तो नभ थल कहेगे
यह सुन घड़ी गुर्रराई
मै भी थोड़ा मुस्काई
कल से तुम्हे साथ न लाउगी
शर्म को चकमा दे कर आउगी
तभी तो उनसे अपनी
दॉस्ता बतला पाउगी