मिलन कैसे हो
चांद रहता गगन मे
मिलन कैसे हो|
मन बिरह गीत गाये
सनम कैसे हो|
गेह मे हूँ अकेला
बसर कैसे हो|
रैन लाती सबेरा
कहर जैसे हो|
चांद रहता गगन मे
मिलन कैसे हो|
मेघ श्रंगार गाते
करूण जैसे हो|
बारि के बूंद लगते
अनल जैसे हो|
चांद रहता गगन मे
मिलन कैसे हो|
कूकती काकपाशी
मदन कैसे हो|
होलिका धाम आई
मिलन कैसे हो|
चांद रहता गगन मे
मिलन कैसे हो|
रचयिता
रमेश त्रिवेदी
कवि एवं कहानीकार