मिलने पे नज़रें हमसे चुराया न तुम करो
मिलने पे नज़रें हमसे चुराया न तुम करो
अपना बना के फिर यूँ पराया न तुम करो
आंखों से अपनी बातें बनाया न तुम करो
यूँ धड़कनों में शोर मचाया न तुम करो
यादों में आना छोड़ दो इतना करो रहम
तन्हाइयों में हमको रुलाया न तुम करो
खुद से जियादा तुमपे ही विश्वास है हमें
कसमें यूँ बात बात पे खाया न तुम करो
हर बात साफ साफ ही करना हमें पसंद
बातें घुमा फिरा के सुनाया न तुम करो
कर देती है दिमाग को बिल्कुल खराब ये
सर पे सवार अपने ये माया न तुम करो
चुभते बड़े ये आँखों में जब टूटते हैं ये
सपने वो ‘अर्चना’ को दिखाया न तुम करो
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30-11-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद