मिलने तुमसे आएँगे (भक्ति- गीतिका)
मिलने तुमसे आएँगे (भक्ति- गीतिका)
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(1)
तुम्हारे चाहने वाले हमेशा तुमको चाहेंगे
मिलो तुम न मिलो रोजाना मिलने तुमसे आएँगे
(2)
तुम्हें देखा नहीं लेकिन तुम्हारा ऐसा जादू है
नशे-मस्ती के झरने में बिना देखे नहाएँगे
(3)
तुम्हें पाने का मतलब है कि जन्नत मिल गई जैसे
जमाने के नहीं फिर गम कोई हमको सताएँगे
(4)
तुम्हें जो पा लिया तो फिर कोई ख्वाहिश नहीं रहती
मगर वह “कुछ नहीं” एहसास को कैसे बताएँगे
(5)
हमें मालूम है चेहरा तुम्हारा कुछ नहीं होता
कोई तस्वीर कैसे फिर तुम्हारी हम बनाएँगे
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451