मिलने को तो लोग हमें
मिलने को तो लोग हमें,
कई बार मिलते हैं ।
मगर दिल की दुनिया में,
कभी कभार मिलते हैं ।
सीधी सच्ची बातों से,
टूट जाते हैं नाते,
ऐसे बनावटी चेहरे,
बेशुमार मिलते हैं ।
दिल में जिनके अपने ,
लिए प्यार नहीं ,
फिर भी क्यों बहाने से,
बार बार मिलते हैं ।
गम में छुड़ाना ना,
हाथों से हाथ मेरे,
खुशी में तो खड़े,
हजार मिलते हैं ।
अदा कर देना कीमत,
वफाओं की “दलपत”
क्योंकि अंत समय में,
कंधे चार मिलते हैं ।।
दीपाली कालरा