Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2024 · 1 min read

मिलने को तुमसे

मिलने को तुमसे……

काजल की बन कोर प्रिये,
हम तुमसे मिलने आयेंगे।

जीवन पथ पर चलते-चलते
दो मोड़ कहीं चल पाएं हम,
कर्मशील इस पथ पर बढ़ते ,
ओझल गर हो जाएं हम

फिर दूर क्षितिज पर निर्निमेष
मेरे प्रीतम ,साजन मेरे
आलोक दामिनी का बनकर
हम राह तुम्हें दिखलाएंगे।

काजल की बन कोर प्रिये,
हम तुमसे मिलने आयेंगे।

सम पर जब जीवन होगा
मंथर गति , हलाहल होगा
छवि मय होगा पश्चिम का व्योम
पल पल चिर प्रतीक्षारत होगा

ऐसे में जब मन की वेदना
होगी जब सागर से गहरी
जीवन की बहती, सरिता में
हम शीतलता बन आएंगे

काजल की बन कोर प्रिय,
हम तुमसे मिलने आयेंगे।

गर संध्या जीवन में तेरे होगी
परछाई भी मुंह फेरे होगी
संगी जो मन भवन थे
घाव अथाह दे जायेंगे

फिर से शाखा उन्नत होगी
फिर से पल्लव आयेंगे
जीवन नहीं मरा करता है
बार बार कह जाएंगे

जब नक्षत्र काल चक्र वश होंगे
तपती में चलना होगा
दूबा पर फिर ओस टिका कर,
हम,पग शीतल कर जाएंगे

काजल की बन कोर प्रिय
हम तुमसे मिलने आयेंगे।

नियति का निर्धारित खेल
पात्र उसी के बन जाएंगे
दूर क्षितिज के मधुर गीत
होठों पर सज जाएंगे

चाहु दिशी नक्षत्र मंथन होगा
आलोडित फिर होंगी दिशाएं
उत्ताल तरंगें सागर होंगी
तट रत्नों से भर जाएंगे

मनु भावों का मानस होगा
देवतुल्य सुशासन होगा
जगत हित हम तेरा आंचल
आशीषों से भर जायेंगे

काजल की बन कोर प्रिय
हम तुमसे मिलने आयेंगे

1 Like · 132 Views
Books from डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
View all

You may also like these posts

"आदि नाम"
Dr. Kishan tandon kranti
नव संवत्सर
नव संवत्सर
Karuna Goswami
किंकर्तव्यविमूढ़
किंकर्तव्यविमूढ़
Shyam Sundar Subramanian
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
Keshav kishor Kumar
म्हारे हरयाणे की नार
म्हारे हरयाणे की नार
अरविंद भारद्वाज
अपनी क्षमता का पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाना ही इस दुनिया में सब
अपनी क्षमता का पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाना ही इस दुनिया में सब
Paras Nath Jha
राम को कैसे जाना जा सकता है।
राम को कैसे जाना जा सकता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
चार लोगों के चक्कर में, खुद को ना ढालो|
चार लोगों के चक्कर में, खुद को ना ढालो|
Sakshi Singh
मित्रता अमर रहे
मित्रता अमर रहे
Rambali Mishra
यमराज का एकांतवास
यमराज का एकांतवास
Sudhir srivastava
" नई चढ़ाई चढ़ना है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
याद आती है हर बात
याद आती है हर बात
Surinder blackpen
दोहा - शीत
दोहा - शीत
sushil sarna
झूम मस्ती में झूम
झूम मस्ती में झूम
gurudeenverma198
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
शहर को मेरे अब शर्म सी आने लगी है
शहर को मेरे अब शर्म सी आने लगी है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
A Departed Soul Can Never Come Again.
A Departed Soul Can Never Come Again.
Manisha Manjari
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
Manoj Mahato
खूबसूरत बचपन
खूबसूरत बचपन
Roopali Sharma
फिर भी गुनगुनाता हूं
फिर भी गुनगुनाता हूं
Kaviraag
राम जैसा मनोभाव
राम जैसा मनोभाव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
मिल के बिछड़ गये,
मिल के बिछड़ गये,
Dr fauzia Naseem shad
: बूँद की यात्रा
: बूँद की यात्रा
मधुसूदन गौतम
दोहा **** शब्दकोष स्वयं है, नहीं शब्द बस एक
दोहा **** शब्दकोष स्वयं है, नहीं शब्द बस एक
RAMESH SHARMA
दोहे- अनुराग
दोहे- अनुराग
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चाहती हूँ मैं
चाहती हूँ मैं
Shweta Soni
3781.💐 *पूर्णिका* 💐
3781.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Arvind trivedi
Loading...