मिलने को उनसे दिल तो बहुत है बेताब मेरा
मिलने को उनसे, दिल तो बहुत है बेताब मेरा।
लेकिन वहाँ उनसे, होगा कैसे सम्मान मेरा।।
मिलने को उनसे दिल———————-।।
जरूरी नहीं यह कि उनको हो मेरी जरूरत।
और याद हो उनको अभी भी कल की मोहब्बत।।
काम और भी है उनको, नहीं ख्याल मेरा।
मिलने को उनसे दिल——————।।
हर बार करते हैं वो बात, सिर्फ कर्ज की।
उन्हें चाहिए पैसा, उनको नहीं फिक्र फर्ज की।।
डूबे है दौलत में वो, क्या करेंगे स्वागत मेरा।
मिलने को उनसे दिल——————–।।
यहाँ सभी के रिश्तें जुड़े हैं, सिर्फ दौलत से।
करते हैं प्यार यहाँ सभी, सिर्फ शौहरत से।।
भूल गए जो इंसानियत, उनको क्या डर मेरा।
मिलने को उनसे दिल———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)