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8 Feb 2024 · 1 min read

मिलती नहीं खुशी अब ज़माने पहले जैसे कहीं भी,

मिलती नहीं खुशी अब ज़माने पहले जैसे कहीं भी,
भाग दौड़ भरी जिंदगी भी अब खुद को ही तलाशती है।

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