मिलकर देश उठाओ ना
मिलकर देश उठाओ ना..
रुपया पैसा खाओ ना
ऐसे मुँह बिचकाओ ना …
चाह रहे वो जो खाना
उनको वही खिलाओ ना…
रूठ गए जो बेमतलब
उनको और मनाओ ना…
खुश होंगे जिससे साहब
गीत वही सब गाओ ना…
दिखा महल गाडी घोड़ा
बाबा हृदय जलाओ ना..
अमन-चैन में रे.. पाजी
अब तो आग लगाओ ना….
बिना पाँव जो रेंग रहे
उनको तेज चलाओ ना…
बंद करो कानाफूसी
नेता बाबू आओ ना…
बना चुके हो बहुत हमें
आकर और बनाओ ना…
खड़ी झोपड़ी बोल रही
महल मेरा बनवाओ ना…
जनता का धन जनता पर
जमकर चलो लुटाओ ना…
बहुत तरक्की देख रहे
थोड़ा हमें दिखाओ ना…
बहुत हुआ विनती करता
मिलकर देश उठाओ ना…
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
( बस्ती उ. प्र.)