” मिलकर एक बनें “
” मिलकर एक बनें ”
जाति धर्म अनेक है,
सबका रास्ता एक है।
उच्च नीच का करते है भेद,
सबका खून के रंग है एक।
श्रेष्ठ बनने की चाहत में,
इंसानियत से गिर रहे अनेक।
कोई कहता मैं उच्च हूं,
चार वर्ण में बाटा देह।
न रंगों में अंतर होता है,
न भाषाओं में भेद।
एक ही सूरत, एक ही ध्येय,
सभी में भगवान है निवेद।