मिरे दिलबर
हिन्दुस्तानी गजल
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हक़ीक़त जहां की सुनो मिरे दिलबर।
भला शौक़ से तुम चुनो मिरे दिलबर।
अभी क्या सुनोगे मिरे हाल दिल की
खुदी धड़कनों में सुनो मिरे दिलबर।
नहीं शौक़ मेरा कि महफिल सुने सब
मगर यार तुम तो सुनो मिरे दिलबर।
अगर चांद में रोशनी है नहीं तो।
गगन चांद दूजा चुनो मिरे दिलबर।
निगाहें , बताएं ,वफाएं अगर दिल
तभी यार मुझको चुनो मिरे दिलबर।
न छोड़ो पढ़ाई सितम है मोहब्बत।
नहीं साथ देगी सुनो मिरे दिलबर।
अभी होश आया कहा फिर यूं “दीपक”।
तिरे हम नहीं हैं सुनो मिरे दिलबर।
दीपक झा “रुद्रा”