मियां-बीबी
****** मियां-बीबी (दोहावली) *******
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जलेबी धरी थाल में,मुँह से निकली लार।
बीबी बैठी बगल में,रोक दिया यह कार।।
भार्या भय से ना उठे,खाने मेरा हाथ।
टेढ़ी आँखे टोकती,पूरा हुआ अनाथ।।
बात-बात पर लड़ पड़े,दिन देखे ना रात।
पति बेचारा लापता,बिगड़े हैं हालात।।
नोक-झोंक हो रोज की,होता रहता शोर।
आस – पास नित देखते, तीखे तेवर तौर।।
मनसीरत घर गृहस्थी,लगती टेढ़ी खीर।
मियां – बीबी ढीढ रिश्ता,जैसे मटर पनीर।।
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सुखविंदर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)