Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2021 · 3 min read

मिथिला मैथिली के दुर्दशा लैए दोखी के सब हइ/अछि?

मिथिला मैथिली के दुर्दशा लैए दोखी के सब हइ/अछि?

के नै दोखी हइ? दोखी सब अछि/हइ अहूं हमहूँ आ समाजक लोक हइ जे सुआर्थ दुआरे मिथिला मैथिली के जरा देलकै हअ? सुआर्थी बाभनवाद, पिछलगुआ सोलकन, चोरनुकबा मिथिला समाज मिथिला के दुर्गति के इनार मे खसा देलकै.
इ यथार्थ आ सांचो गप हइ जे बाभनवाद बेबस्था मे सुआर्थी आ चलाक बाभन अरू अपने टा फायदा दुआरे आन जाति सोलकन सब के नै अगुआ देलकै ने ओकरा बोली के मोजर बाजब स लिखब तक कतौ ने देलकै आ राड़ कहि उपहास उड़ेलकै.
इ कटुचालि दरभंगे राजकाल मे मैथिल अमैथिल के भेद कए मैथिली महासभा रूपे लिखा गेल रहै. कायस्थ सभ के स्थान देल गेलै आ उहो सब अपने फायदा लै मैथिल बनल रहलै आ इहो अरू चुपचाप अपन काज मे रहल आ कहियो बाभनवाद के बिरोध नै केलकै? भूमिहार राजपूत संपन्न रहै ओकरा अरू के मिथिला मैथिली स ओतेक मतलब नै रहलै. ओ सब अप्पन समपन्नता लेल लागल रहल आ इ अरू बलू मिथिला मैथिली पेटपोसुआ वृति स दूरे रहल आ तेहेन कोनो माने मतलब नै रहलै.

मिथिला मे सोलकन सब गरीब असहाय कम पढल लिखल रहै आ अन्याय सहैत रहलै बलू राड़ कहा अपमानित होइतो निरलज्ज भेल मिथिला समाज मे रहल. सोलकन मे जे सब थोड़े पढ़ल रहै ओ सब बाभनवाद के पिछलग्गू बनि अपन मान बढेबा लेल नमरी लूच्चा बनल रहल, बाभनवाद के बिरोध ने केलक आ सोलकन बोली संस्कृति के रैछा मान सम्मान लै कहियो ने अगुआएल.

एतेक जे पढलाहा सोलकन सब लिखब बाजब आ पहिरब तक मैथिली मानक के आरो सपोट केलक? जेना पाग पहिरब, मानक मैथिली लिखब बाजब, मिथिला राज हो हो आदि. इ कोनो मजबूरी मे नै उहो अपना फायदा बुझि बाभनेवाद मे मूड़ि डोलबैत रहल.
एइ दुआरे मैथिली भाषा पर बाभन कायस्थ कब्जा जमौने रहल आ अनजाति के कहियो मोजर ने देलकै आ लाॅबी बना अपन सुआर्थ सिद्धी मे रमकल रहल. साहित्य अकादेमी, आयोजन, पुरस्कार, पत्र पत्रिका, सरकारी फंड सब पर एकरे कब्जा आ दोसर जाति के नाम नै हुअ देबै तै लै नियोजित षडयंत्र होइते रहल. अकादमी पुरस्कार,संयोजक, संपादक के इतिहास मैथिली मे बाभनवाद के देखार चिनहार क दै छै. अपवाद रूपे एक आध सोलकन नाम सिरिफ नाम लेल. आ उहो सोलकन लेखक सब सोलकन के आगा बढबै ले किछो ने करै जाइ गेलै?

कहबी लैए सब मैथिल हइ मैथिली सबके भाषा हइ. लिखबा बजबा, पुरस्कार काल से बात छैहे ने? एकेक वर्ग भेद आ जातिवादी बेबहार किनसाइते दोसर भाषा मे देखबै. मैथिली मे जातिवाद गहे गहे पसरल हइ क. विद्यापति छोड़ि सलहेस, दिना भदरी, लोड़िक, सहित आन महान विभूति के जंयति नै मनबै जाइ हइ आ ने तेकर कोनो मोजर देतै ग?

मैथिली लाॅबी दुआरे एहि तरहे सोलकन सब मिथिला मैथिली स दूर होइत गेल. अंगिका बज्जिका कोसिकन्हा मधेशी बोली बनि गेलै आ ओकरा मैथिली भाषा मे मोजर नै देल गेलै. आब लोक जागरूक भेल मान सम्मान तकै हइ, जगह मंगै हइ त ओकरा षडयंत्रकारी कैह लाॅबी वला अप्पन दोख झांपै मे लागल हइ?

अहि तरहे आस्ते आस्ते मिथिला समाज आ मैथिली भाषा के दुर्दशा होइते रहल आ ओ सामूहिक, सर्वजन, जनसरोकारी नै भऽ एकभगाह, पेटपोसुआ, वर्चस्वादी सुआर्थी होइत गेल आ दुर्गतिक देवार मिथिला समाजक लोक स्वयं ठार केलक.

इ कटु सत्य जैनतो मिथिला समाजक लोक ने आगू एलै ने पंचैती केलक आ ने समाधान तकलक? सब परदेश कमा बमफलाट रहल. मैथिली लाॅबी मिथिला मैथिली के सुडाह केलकै ग आ अखैनियो हठ क आन जाति के नाम नैहे दै हइ साहित्य अकादमी मे? बाभन सोलकन मिथिलाक लोक, कोइ जवाब ने मंगलकै एकरा अरू स आ तहि दुआरे इ सब मनमाना क मिथिला मैथिली के दुर्गति क छोड़ि देलकै ग?

©डाॅ. किशन कारीगर
(काॅपीराइट सर्वाधिकार सुरक्षित)
10/07/2021

Language: Maithili
Tag: लेख
2 Likes · 3 Comments · 1065 Views
Books from Dr. Kishan Karigar
View all

You may also like these posts

The Misfit...
The Misfit...
R. H. SRIDEVI
#लघु_कविता-
#लघु_कविता-
*प्रणय*
मेरा भारत बड़ा महान
मेरा भारत बड़ा महान
पूनम दीक्षित
- तुम ही मेरे जीने की वजह -
- तुम ही मेरे जीने की वजह -
bharat gehlot
अशोक पुष्प मंजरी घनाक्षरी
अशोक पुष्प मंजरी घनाक्षरी
guru saxena
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
छत पर हम सोते
छत पर हम सोते
प्रदीप कुमार गुप्ता
घर परिवार पड़ाव - बहाव में ठहराव
घर परिवार पड़ाव - बहाव में ठहराव
Nitin Kulkarni
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
पूर्वार्थ
मैं सोच रही थी...!!
मैं सोच रही थी...!!
Rachana
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
Udaya Narayan Singh
रोला छंद. . .
रोला छंद. . .
sushil sarna
दर्द
दर्द
ललकार भारद्वाज
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
लक्ष्मी सिंह
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
Neelofar Khan
*भला कैसा ये दौर है*
*भला कैसा ये दौर है*
sudhir kumar
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया
Karuna Bhalla
रुपया
रुपया
OM PRAKASH MEENA
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
सपने ना बंद आँखो में है ,
सपने ना बंद आँखो में है ,
Manisha Wandhare
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सच तो जीवन में शेड का महत्व हैं।
सच तो जीवन में शेड का महत्व हैं।
Neeraj Agarwal
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
नारी तेरी कहानी
नारी तेरी कहानी
Rekha khichi
सुपारी
सुपारी
Dr. Kishan tandon kranti
ग्यारह होना
ग्यारह होना
Pankaj Bindas
Loading...