मिथिलाक बेटी
मिथिला कहि प्रेमसँ,
पाली बोल, बुट्टी संजीवनी,
तोअ छै महिलाक नारि ,
सप्पन केर अधिकारी ।
चूड़ीक खनकमे ,बसल अहि ,
बिन्दीक लालीसे सुशोभित,
गंगाजलक पवित्र धारा सन.
सभ डेग पर जीवित अहि।
सरस्वतीक पुत्री अहि ।
जेना लक्ष्मीक उपहार अहि,
सभ घर इजोत करैत अहि,
खुशीक अँजोर अनमोल अहि।
मिथिलाक माटिक सुगंध रहै,
अहिक प्रेममे डूबल रागिनी,
तोरे से प्रिये घर परिवार
धड़कन सभ मधुर पाली अहि ।
श्रीहर्ष —–