मित्र….
मित्र बिना सूना संसार ।
लगते अधूरे अधूरे संस्कार ।।
मित्र दिखाता जीने की राह ।
मन में भरता है उत्साह ।।
जब जब संकट आन पड़े ।
मित्र रहते सदा साथ खड़े ।।
मन की हर बात के राजदार ।
मित्र होते है खुशियों के हार ।।
रिश्ते में घुला है प्यार विश्वास ।
वक़्त पर दे दे अपनी हर साँस ।।
जो बन जाते है सच्चे मित्र ।
दिल से मिटता नही उनका चित्र ।।
भूलकर अपनी खुशी सारी ।
पल पल निभाते मित्र वफादारी ।।
मित्र बिना सब तीज त्यौहार ।
फीकी लगती है हर बहार ।।
पतझड़ में भी सावन बरस जाए ।
जब मित्र के घर खुशियाँ आए ।।