Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2024 · 1 min read

मित्र

मित्र
बचपन में जो मित्र रहे हैं , वे कहलाएं बाल सखा
कालांतर में निभ जाए तो, हो जाते हैं कालसखा
पलते रहते मित्र के दम पर, हैं वे सारे पालसखा
संकट में जो साथ निभाए, नाम है उनका ढालसखा

जाल बिछाकर तंग करें जो, वे हैं प्यारे जालसखा
हां में हां जो सदा मिलावें, उनको कहते गालसखा
जिनसे हो मतभेद परस्पर, हो जाते हैं लालसखा
पूछ पूछकर हाल हमेशा, करें बेहाल वे हालसखा

जिनकी नजर माल पर रहती, ले जाएं वे मालसखा
कुछ की नजर चाल पर रहती, गुप्त रखें ये चालसखा
चिपके रहते खाल से हरदम, वे होते हैं खालसखा
भिन्न स्वभाव, भिन्न प्रकृति हो, फिर भी रहते साथ सखा

66 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं एक श्रमिक।
मैं एक श्रमिक।
*प्रणय*
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
Bhupendra Rawat
3598.💐 *पूर्णिका* 💐
3598.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
यूंही नहीं बनता जीवन में कोई
यूंही नहीं बनता जीवन में कोई
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सब्जी के दाम
सब्जी के दाम
Sushil Pandey
"सदियाँ गुजर गई"
Dr. Kishan tandon kranti
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
Rj Anand Prajapati
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
Taj Mohammad
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
उदर क्षुधा
उदर क्षुधा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
इश्क़ और चाय
इश्क़ और चाय
singh kunwar sarvendra vikram
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
शिव प्रताप लोधी
वेदना
वेदना
AJAY AMITABH SUMAN
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
महेश चन्द्र त्रिपाठी
ऋतु गर्मी की आ गई,
ऋतु गर्मी की आ गई,
Vedha Singh
घर के आंगन में
घर के आंगन में
Shivkumar Bilagrami
सदद्विचार
सदद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
gurudeenverma198
Some times....
Some times....
Dr .Shweta sood 'Madhu'
सारे रिश्तों से
सारे रिश्तों से
Dr fauzia Naseem shad
दोहा __
दोहा __
Neelofar Khan
*जिसने भी देखा अंतर्मन, उसने ही प्रभु पाया है (हिंदी गजल)*
*जिसने भी देखा अंतर्मन, उसने ही प्रभु पाया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
पूर्वार्थ
आवाज मन की
आवाज मन की
Pratibha Pandey
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
साहित्य गौरव
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
सत्य कुमार प्रेमी
प्रेरणा
प्रेरणा
Shyam Sundar Subramanian
*दीवाली मनाएंगे*
*दीवाली मनाएंगे*
Seema gupta,Alwar
कभी जिम्मेदारी के तौर पर बोझ उठाते हैं,
कभी जिम्मेदारी के तौर पर बोझ उठाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
Loading...