मित्र
मित्र
बचपन में जो मित्र रहे हैं , वे कहलाएं बाल सखा
कालांतर में निभ जाए तो, हो जाते हैं कालसखा
पलते रहते मित्र के दम पर, हैं वे सारे पालसखा
संकट में जो साथ निभाए, नाम है उनका ढालसखा
जाल बिछाकर तंग करें जो, वे हैं प्यारे जालसखा
हां में हां जो सदा मिलावें, उनको कहते गालसखा
जिनसे हो मतभेद परस्पर, हो जाते हैं लालसखा
पूछ पूछकर हाल हमेशा, करें बेहाल वे हालसखा
जिनकी नजर माल पर रहती, ले जाएं वे मालसखा
कुछ की नजर चाल पर रहती, गुप्त रखें ये चालसखा
चिपके रहते खाल से हरदम, वे होते हैं खालसखा
भिन्न स्वभाव, भिन्न प्रकृति हो, फिर भी रहते साथ सखा