मित्र मिलन
जब भी हम मिलते है,
दिल खोलकर हंसते।
बचपन के दिन याद कर,
बचपन में फिर विचरते।।
कितना समय गुजर गया,
फिर भी लगते हम बच्चे।
जब मिलकर बाते होती,
संबंध बन जाते और अच्छे।।
निभा रहे अपनी जिम्मेदारी,
और चला रहे घर परिवार।।
रिश्तों के ताने बाने में उलझकर,
संघर्षमय लगता संसार।।
मित्रों से मिलने की खुशी,
मन में भर देती उत्साह।
मित्र मिलन के हर पल की,
सदा रहती है मन में चाह।।
दुःख दर्द की हर बेला,
मित्रों से मिलकर जाते भूल।
प्रेम स्नेह और सहयोग के,
नित नित खिलते है फूल।।
आओ सब मित्रों से मिलकर,
हम मित्रता की परिभाषा बने।
सुख दुःख में सहयोग देकर,
मित्रों के साथ रहें बनकर अपने।।
—-जेपी लववंशी