मित्र दिवस
वो वक़्त आज बड़ा याद आता है, याद आ आकर आँखे भर जाता है,
वो तेरा मुझसे छोटी छोटी बातों पर झगड़ना, सबका आगे वाली सीट के लिए लड़ना,
वो प्रेयर से पहले की लंबी सी बहस, वो फ्री लैसन में टीचर की नकल,
हमारी लड़ाई देखकर टीचर का डाट लगाना, वो मिनटों में लड़ाई का गायब हो जाना,
याद है आज भी तेरी सुनाई हर कहानी,
काश वापस आ जाए वो बेफिक्र से दिन,
वो समय वो सुबह सुहानी।।
चक्षिमा भारद्वाज”खुशी”