मित्रो नमस्कार!
मित्रो नमस्कार!
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देखें एक चित्र!!
रोटी पर मखनी लगी,बथुवे का हो साग।
छाछ थाल में हो रखी,धन्य आपके भाग।।
धन्य आपके भाग,मिले जो पोषक भोजन ।
मुंह में पानी आय,मचलता है सबका मन।।
कहै अटल कविराय,दीखती किस्मत खोटी।
छूट गया है गांव, नहीं अब चूल्हा रोटी।।
अटल मुरादाबादी
ओज व व्यंग कवि