मित्रों नेक सलाह पर ध्यान धरो!!
सीमाओं पर है तनातनी,
युद्ध की है आशंका बनी,
यदि ना सुलझा यह विवाद,
तो सुनाई देगी, गोला-बारूद की ध्वनि।
इस चीन को अचानक क्या हुआ,
किसलिए हैं हमसे रुठ कर बिफरा हुआ,
हमने तो धैर्य है धरा हुआ,
ये क्यों है हमको उकसा रहा।
इधर नेपाल के भी तेवर हैं बदले हुए,
हमसे झगड़ने में हैं लगे हुए,
जिन्होंने हर कदम पर साथ दिया,,
उनकी ही मुसीबतों को है बढ़ा रहा।
पाकिस्तान ने तो लड़कर ही जन्म लिया,
अखंड भारत को धर्म के नाम पर विभक्त किया,
जो रुक गये थे यहां पर,
उनकी निष्ठा को है संदिग्ध किया ।
ये मिलकर हमें घेरना चाहते हैं,
हमारी सुख-शांति को मिटाना चाहते हैं,
इन्हें हमारी तरक्की सुहाती नही दिख रही,
इनकी बेचैन आत्मा इन्हें भटका रही।
हमें अब ज्यादा ना मजबूर करो,
हमसे सुलह से नहीं रह सकते तो ना रहो,
हम अपनी राह चलें, तुम अपनी राह चलो,
जो उलझे अब बेवजह, तो फिर अंजाम भुगतने को तैयार रहो।।