मित्रता:समाने शोभते प्रीति।
मित्रता:समाने शोभते प्रीति।
-आचार्य रामानंद मंडल।
आइ अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस हय। मित्रता पर विमर्श।
सभ से पहिले रामायणकालीन मित्रता पर।
प्रथम कथा के अनुसार मित्र केवट।ओहो दास भाव मे रहैत हतन आ मित्र राम के गोर धो के परिवार सहित पिवैत हतन। कोनो मित्रता के समान भाव न अपना के हमेशा निच मानैत हतन। मित्र राम के प्रभू मानैत रहलन।राम क्षत्रिय त केवट शूद्र रहलन।
मित्रता मे समान भाव के अभाव दिखैत हय।
दोसर कथा ।प्रसंग हय राम आ सुग्रीव के मित्रता पर।अइ मित्रता मे सुग्रीव के बड़ भाई बालि मारल जाइ हय। मित्रता के बुनियाद दुश्मन बड भाई बालि के हत्या।जे मित्र राम करैत हतन।बाद मे राम के पत्नी के खोज मे मित्र सुग्रीव सहायता करैत हतन। मित्र सुग्रीव मित्र राम के प्रभु से संबोधित करैत हतन।आ दास भाव मे रहैत हतन।बालि के मृत्यु के बाद हुनकर पत्नी अर्थात भौजी तारा से बिआह करैत हतन आ किष्किन्धाराज के राजा बनैत हतन। मित्रता मे समान भाव के अभाव परिलक्षित होइ हय।
महाभारतकालीन प्रथम कथा। सुदामा आ कृष्ण।मित्र ब्राह्मण सुदामा के मित्र यादव कृष्ण सिंहासन पर बैठावत हतन आ गोर धोएत हतन। कृष्ण के रानी सत्यभामा आ रूक्मिणी बेना हौंकैत हतन।
दोसर कथा मित्रता के एकटा मिशाल हय अंगराज कर्ण आ सुयोद्धन के मित्रता।शुद्र कर्ण के वीरता से प्रभावित होके अंगराज्य के राजा बना देल जाइत हय।आ मित्रता के बलिबेदी पर कर्ण अप्पन प्राण न्यौछावर कर देले हतन। मित्रता मे समान भाव दिखाई पड़ैय हय।
जौं वर्ण-व्यवस्था के अनुसार विमर्श कैल जाय त उच्च वर्ण के निम्न वर्ण गोर धोएत हतन।चाहे वो क्षत्रिय राम आ शुद्र केवट होय वा ब्राह्मण सुदामा आ यादव (शूद्र) कृष्ण। भगवान कृष्ण के सोल्हकन मानल जाइत हय। महाभारत के कैगो प्रसंग में हुनकर जाति के लेके मजाक उड़ायल गेल हय।कर्ण (अपग्रेडेड क्षत्रिय) आ सुयोद्धन दूनू क्षत्रिय।गोर धोय के कोनो प्रसंग न हय।
जौं भगवान आ भक्त के रूप मे विमर्श कैल जाय त भगवान राम आ भक्त केवट। भगवान राम बड़ आ भक्त केवट नीच दिखाई पड़ैय हय।भगवान कृष्ण आ भक्त सुदामा के रुप मे भगवान से बड़ा भक्त दिखाई पड़ैय हय। मित्र सुदामा मित्र कृष्ण के नजदीक नीच न दिखाई पडैय हय। कर्ण आ सुयोद्धन के बीच भगवान आ भक्त के कोई संबंध न हय । कोनो उच्च -नीच न हय।मित्रता के समान भाव दिखाई पड़ैय हय।
निष्कर्षत: राम आ केवट, कृष्ण आ सुदामा। भगवान आ मानव के बीच मित्रता हय। परंतु कर्ण आ सुयोद्धन के बीच मानव -मानव के मित्रता हय।
मित्रता मे समान भाव आवश्यक तत्व हय।
समाने शोभते प्रीति।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।