“ मित्रताक अमिट छाप “
( यात्रा संस्मरण )
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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16 सितंबर 1984 पूर्वोत्तर प्रदेश बरखा आ बाढ़क चपेट मे पिसा रहल छल ! गाम घर मालजाल लोकवेद सब तबाह भ गेल छल ! तकर अनुमान हमरा पूना मे नहि छल ! गुवाहाटी स्थित फील्ड एंबुलेंस मे हमर पोस्टिंग भेल छल ! आर्मी पोस्टिंग 60 दिनक भीतर नव स्थान पर जाय पड़ैत छैक ! आर्मी किट ,बेड होल्डर ,आइरॉन बॉक्स और खाना वाला बैग के साथ खड़की पुना सँ कल्याण ,कल्याण सँ इलाहाबाद आ फेर इलाहाबाद सँ गुवाहाटी आबि गेलहूँ ! तखन आरक्षण क सुविधा नहि छल ! परंतु एम 0 सी 0 ओ क पत्राचार सँ तीनू ठामक रेज़र्वैशन भ गेल छल ! इलाहाबाद सँ हमरा तिनसुकिया एक्स्प्रेस ट्रेन भेट गेल ! चार्ट मे हमर नाम छल आ दोसर हमर मित्र नर बहादुर भण्डारी क नाम सेहो छलनि ! ताहि समय आरक्षणक आधुनिक सुविधा नहि छल ! हमरा लोकनिक रेज़र्वैशन भेल , बूझू बड़का लौटरी भेट गेल ! फरक्का आ सिलीगुड़ी पहुँचैत -पहुँचैत ट्रेन 24 घंटा बिलम्ब भ गेल छल ! बरखा रानी झमकि -झमकि बरिसि रहल छलीह ! थमबाक नाम नहि ! सम्पूर्ण धरती जल मग्न भ रहल छल ! ट्रेन धीमी गति सँ बढि रहल छल !
नर बहादुर भण्डारी डिफेन्स सिक्युरिटी कॉर्पस क जवान हमरे सँग रहथि ! ओहो पुणे सँ चढ़ल छलाह ! हुनकर पोस्टिंग गुवाहाटी नारंगी भेल रहनि ! इ कहू, त इ यात्राक मित्र भेलाह ! बर्दी क जेहन एक रंग ,तहिना मित्रता क एक रंग ! हम दूनू मिलि केँ अपन –अपन यात्रा प्रारंभ केलहूँ ! आपसी सहयोग ,विचार क आदान -प्रदान आ ताल- मेल सँ सफ़र नीक कटि रहल छल ! मुदा बाढ़ आ बरखा क तबाही सेकड़ों यात्री केँ असुरक्षा क स्थिति मे आनि ठाड़ केने छल ! गाड़ी चलैत -चलैत कोनो निर्जन स्थान पर रुकि जाइत छल ! खैबा क कमी ,पानि क अभाव पेंट्री कार केँ सहो डामाडोल क देने छल !
टी 0 टी 0 इ 0 आबि कहलनि ,——-
” यात्रीगण ध्यान दें ! यह ट्रेन न्यू- बोगाइगाँव से आगे नहीं जा सकेगी ! न्यू- बोगाइगाँव के बाद गुवाहाटी वाली लाइन निर्मम बाढ़ और बारिश के चपेट में पड़ कर ध्वस्त हो कर सारे के सारे वह गए !”
गाँम क गाँम एहि विकराल बाढ़ क मुँह मे समा गेल ! ट्रेन मे बैसल मुसाफिर लोकनि अपन- अपन इष्ट देवता केँ गुहार लगेनाइ प्रारंभ क देलनि ! भूख -प्यास लोक सब बिसरि रहल छल ! 17 सितम्बर संध्या 4 बजे हमर तिनसुकिया ट्रेन न्यू- बोगाइगाँव स्टेशन पर हकमैत पहुँचल!
मुदा उतरि केँ जायब कत्त ? मूसलाधार बरखा भ रहल छल ! सम्पूर्ण स्टेशन पानि -पानि भेल छल ! पानिक झटक सँ देहक कपड़ा ,पैर क जूता मौजा आ सब समान भीज गेल छल ! कनि काल धरि ठाड़ रहलहूँ ! नरपत सिंह भण्डारी केँ कहलियनि ,——
“ हम समान लग मुस्तैद रहैत छी ! आहाँ कनि पता लगाऊ केना गुवाहाटी जायब ?”
पता लागल पूर्वोंत्तर रेल्वे 20, 25 टा ट्रकक इंतजाम न्यू- बोगाइगाँव स्टेशन केँ बाहर मे केने अछि ! ककरो मे त्रिपाल छल कोनो नग्न ! इ हमरा लोकनि केँ ब्रह्मपुत्र नदी केँ किनारे योगिघोपा ल जायत ! फेर नाव /फेरी से ब्रह्मपुत्र नदी पार कराओल जायत ! नदी केँ ओहि पार गोआलपाड़ा पहुँचब पुनः ओहिठाम सँ रेल्वे क नियोजित बस सब हमरा सब केँ गुवाहाटी पहुँचा देत !
न्यू- बोगाइगाँव मे बारिश अपन विकराल रूप देखा रहल छलीह ! पहिने नंबर लागल तखन समस्या इ छल जे ट्रक धरि अंततः पहुंचब केना ? नर बहादुर भण्डारी आ हमर सामान प्रायः -प्रायः बराबर छल ! कियो एकटा रिक्शाचालक अपन रिक्शा ल केँ बारिश में भिजैत आयल आ ओहि पर हमरा दूनू केँ सामान लादि पैरे भिंजैत ट्रक लग पहुँचा देलक ! बर्षा, बाढ़ संगे-संगे तूफान क थपेड़ सँ एकटा पैघ समस्या उत्पन्न भ गेल ! केहुना तरहें अपन सामान केँ आपसी सहयोग सँ ट्रक क ऊपर राखि पेलहूँ ! हमर ट्रक क ऊपर त्रिपाल लटकाओल गेल छल मुदा सूनामी क प्रकोप सँ इहो छिंन -विछिंन भ गेल छल !
हम ब्रह्मपुत्र नदी केँ कात योगिघोपा 5 बजे पहुँचि गेल छलहूँ ! ओहूठाम रेल्वे टिकट क चेकिंग भेल ! ओहि मूसलाधार बरखा मे हमरा सबकेँ लाइन लगय पडल ! सम्पूर्ण वातावरण कोलाहलमय छल ! विचित्र दृश्य छल ! पानी क जहाज कनि दूरे ठाड़ छल ! ब्रह्मपुत्र अपन उफान पर छलीह ! नदी क धारा अपना तांडव दिखा रहल छल ! छोट पटरा क ब्रिज जमीन सँ जहाज धरि जयबाक लेल बनाओल गेल छल ! लोक अपन सामान ल केँ चढ़ैत काल खसिओ पड़ैत छल ! नर बहादुर भण्डारी बद्द निपूर्ण सहायक मित्र सिद्ध भेलाह ! हुनके सहयोग सँ हम सुरक्षित जहाज पर चढ़ि पेलहुं ! किछू क्षण क बाद जहाज चलल ! जान मे जान आयल ! जहाज मे चाय आ हल्का जलपान क बंदोबस्त छल ! राति भ रहल छल ! 30 मिनट क बाद हमर जहाज गोआलपाड़ा क छोर केँ छू देलक !
एहिठाम जहाज सँ उतर केँ लेल कोनो पटरा नहि लगाओल गेल छल ! सौंसे थाल -थाल पसरल छल ! अन्हार छल बच्चा आ परिवार क लेल समस्या छल ! आपसी सहयोग सँ पार उतरलहूँ ! सब सामान केँ ल सड़कक कात एलहूँ ! अहूठाम रेल्वे बसक इंतजाम छल ! मुदा कोन बस पर चढ़ब से पता नहि छल ! भीड़ यात्री क उमड़ि रहल छल ! राति अन्हार गुज्ज छल ! बिजली नहि ,पानि नहि ! सब अपन अपन जोगाड़ मे लागल छलाह ! हम नर बहादुर भण्डारी केँ कहलियनि ,—–
“ देखियो ,भण्डारी जी ! कोन बस जायत ? कनि भाँज लगाऊ !“
एहि कठिन परिस्थिति मे ओ सुदामा बनि आयल छलाह !
भण्डारी जी कहलनि ,——
“ सर , आहाँ सामान लग ओरिया केँ बईसू ! हम इंतिज़ाम करैत छी !”
लोक क शोर आवध गति सँ तेज भ रहल छल ! कियो कोनो बस मे त कियो कोनो बस मे ! उदेश्य गुवाहाटी पहुँचबा क छल ! भण्डारीजी आ हमरा बस मे जगह नहि भेटल ! अंततः बस क छत पर सब भिजल सामान ल केँ चढ़य पडल ! आ निर्णय केलहूँ कि आब जे हेत से हेत , छत पर चढ़ि गुवाहाटी जायब !
राति भरि बस क छत पर बैसल हमरालोकनि समय बितलहूँ ! अंत मे भिनसरे 3.30. बजे बस चलल आ 7.30 बजे हमरा लोकनि गुवाहाटी रेल्वे स्टेशन पहुँचलहूँ !
नर बहादुर भण्डारी स्टेशन बस सँ नारंगी छावनी चलि गेलाह ! हुनका धन्यवाद देलियनि आ हुनका बिदा केलहूँ ! एम 0 सी 0 ओ सँ हमहूँ अपन यूनिट मे कॉर्टर मास्टर तत्कालीन कप्तान ( अब रिटाइर कर्नल ) राजेन्द्र प्रसाद नायडू केँ टेलीफोन केलहूँ ! किछू समयक उपरांत हमरा लेल गाड़ी आयल आ हमहूँ अपन गंतव्य स्थान पर पहुँचि गेलहूँ !
इ त मानय पड़त सफ़र किया नहि दुखदायी रहे, परंच सँग यदि नर बहादुर भण्डारी जेहन फौजी मित्र होथि त सफ़र यादगार बनि जाइत अछि !
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत
07.07.2022.