***** मिट्टी के घरोंदे सा *****
मिट्टी के घरोंदे सा हमारा दिल है
जरा सी ठेस लगते ही टूट जाता है ।
मकां तो फिर भी बना लिए जाते हैं
टूटा हुआ दिल फिर बनाने से नहीं बनता है ।
इस दिल को सम्भालकर रखो
ये कहीँ फिसल ना जाये …
फर्स पक्का हो किसी के ह्रदय का तो टूटने का डर है …
.
दिल लगाओ उसी से
जिसके ह्रदय का आँगन
बालू रेत से बना हो ताकि
गिर कर भी सम्भलजाये ..
दिल फिसले तो भी
साबुत नजर आये …
कोई खरोंच उसपे ना आये …
दिल अपना अपना ही होकर रहें ….
..?मधुप बैरागी