मिट्टी की कीमत
मिट्टी की कीमत
क्या होती है मातृभूमि ये,
माँ का बेटा ही पहचाने।
वतन फरोशी करने वाले,
मिट्टी की कीमत न जाने।।
गद्दारी रग-रग में जिनके,
चाटुकारिता और मक्कारी है।
धब्बा है वो देश की ख़ातिर,
बहुत भयानक महामारी है।।
धूर्तों सी फितरत होती जिनकी,
मूर्खों सी हरकत करते रहते।
त्याग के अपने मूल वंश को,
जाने कितने रंग बदलते रहते।।
घात लगाए रहते हरदम,
देश की आन मिटाने को।
पर जो हैं सपूत होते शहीद,
माता की लाज बचाने को।।
देशद्रोहियों गौर से सुन लो,
क्या हैं हम दिखला देंगे।
बात आन पे आ जाए गर तो,
जिन्दा ही मिट्टी में दफ़ना देंगे।।
गद्दारों के हर नापाक इरादे,
मन -ही-मन में रह जाएंगे।
गिन-गिन कर और चुन-चुन कर,
सबको देश से निकाल भगायेंगे।।
हम जीते हैं इस देश की खातिर,
देश के लिए ही मर जायेंगे।
निज देश की मिट्टी की खातिर,
हम अपना शीश कटा देंगे।।
🙏🙏🙏🙏🙏
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597