मिटती न खार हैं
बार बार मार खाये, फिर भी न शरमाये,
पाक बेशरम बना, बड़ा लतमार है ।
लड़ता है बेवकूफ, ईर्ष्या में जल रहा,
टुकड़ों मे पल रहा, बहे मुँह लार है ।।
समझ न आता उसे, चीन भरमाता उसे,
मूर्खता मे मर रहा, हुआ जार जार है ।।
पीठ पीछे वार करे, वो विनाश सर धरे,
हर बार हार खाता, मिटती न खार हैं।।
कौशल