मिजाज आशियाना
नजर के खेल में ही नजरें चार होती हैं !
नफरत के खेल में धरती लाल होती है !
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अजीब है इश्क की शुरुआत !
महेंद्र अनजाने को भी अपना बना लेती है !
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अगर वफ़ा में भी हकीकत हो !
आखिर मिलकर नजरें झुक जाती है !
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न जाने मोहब्बत में कौन तार जुड़े है !
तड़फ़ इधर से ज्यादा उधर रहती है !
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इश्क भी अजनबी अजीब है !
खुद करें तो खुदा !
औरों के इश्क में लेप जहरीला रहता है !
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राधा गई तेल लेने,
नौ मण तेल होगा ..तभी तो नाचेगी !
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रुख जमाने का रुखसार बना देता है !
वरन् मिलकर कौन जमाने में ! मिलकर !
बिछुड़ना चाहता है !