*** मिआं -बीवी की नौक झोक ***
तेरी सूरत अब मुझ को अच्छी नहीं लगती ,
क्या खूब लगा करती थी पहले मेरी सजनी ?
वो योवन था आज बुढ़ापा है मेरे साजन,
याद रखना वो सदा नहीं रहती एक जैसी ?
तून चलती अच्छी लगती थी अब क्या हो गयी हो ?
यह देख देख कर बड़ी पुरानी सी लगती हो !
क्या क्या मुझे तुम कहते हो , अपना कभी देखा है
बाल काले वाला लाई थी अब देखो दर्पण कैसे लगते हो ?
बच्चे भी तुम को देख देख कहते हैं मम्मी हो गयी मोटी ,
खाती पीती सब से ज्यादा , और चलाती है हम पर सोटी !
अपना तो देखते नहीं, पेट कितना निकाल कर घूमते हो,
मोहल्ले में सारी सखिया मजाक उड़ाया करती हैं तुम्हारा
चलो छोड़ो अब लडाई न करो सर्दी ज्यादा लग रही है
बनाओ जाकर गाजर का हलवा, वो पुराणी याद आ रही है !
अरे अब तो बख्स दो नौकर कोई रख लो काम वो करेगा
बिमरियन इतनी भर दी हैं कुछ काम अब नहीं होता है !
चलो ठीक है नौकर कौन आएगा तेरे लिया इस काम का
याद नहीं तुझे अब में ही तो बचा हूँ तेरे इस काम का ??
अजीत कुमार तलवार
मेरठ