माड़े नसीबा तो हारे
माड़े नसीबां तो हारे
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गल सुण नी मुटियारे,
मरदे न तेरे ते कुँवारे।
जिंद जान तैथों वारी,
खड़े हुण तेरे ही द्वारे।
सदा खुलियाँ न बाहाँ,
खुले न छत ते चुबारे।
मत्त मार लई ए सारी,
तेरे लारियाँ ने वी मारे।
की मैं सिफ़्ता सुनावाँ,
तेरे तां वारे ही न्यारे।
चन्न नू वी हर लिता,
तोड़ अंबरां तों तारे।
मनसीरत गया हार,
माड़े नसीबां तो हारे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)