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12 May 2024 · 1 min read

माॅं

माॅं के कितने रूप हैं, जननी जग आधार।
जीवन में सब चाहते, माॅं के जैसा प्यार।।

आतीं हरदम याद हैं,जाने जगत जहान।
याद सुबह अरु शाम है,वे हैं खूब महान।
उनसे ही तो इस जगत,आती सदा बहार।
माॅं के कितने रूप हैं, जननी जग आधार।।

मथुरा काशी सब वहीं,चरणों में सुख धाम।
समझ सकें जो हम यहाॅं,सबसे पहला काम।
आदि देव के रूप में,मातु पिता का प्यार।
माॅं के कितने रूप हैं, जननी जग आधार।।

डी.एन.झा ‘दीपक’ देवघर, झारखंड

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 68 Views

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