*माहेश्वर तिवारी जी से संपर्क*
माहेश्वर तिवारी जी से संपर्क
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सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री माहेश्वर तिवारी जी से 1983 में सहकारी युग हिंदी साप्ताहिक, रामपुर का नियमित लेखक बनने के बाद संपर्क आया ।
1986 में मेरी पुस्तक “रामपुर के रत्न” पर आपकी प्रोत्साहन से भरी हुई आशीष-टिप्पणी प्राप्त हुई थी। पुस्तक के आरंभिक पृष्ठ पर इसके प्रकाशन से पुस्तक का महत्व कई गुना बढ़ गया।
फिर 1993 में मैंने “माँ” काव्य-पुस्तक लिखी । भूमिका के लिए एक बार पुनः माहेश्वर तिवारी जी से अनुरोध किया गया । तत्काल आपकी भूमिका प्राप्त हो गई । उत्साहवर्धन में कोई कमी आपने नहीं रखी । पुस्तक का विमोचन भी आपके ही कर-कमलों से अक्टूबर 1993 में रामपुर में संपन्न हुआ । अपने व्याख्यान तथा काव्य-पाठ से माहेश्वर तिवारी जी ने सुधी श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया ।
मॉं पुस्तक के लिए लिखी गई आपकी भूमिका अपने आप में मॉं के संबंध में लिखा गया एक विस्तृत आलेख अथवा शोध पत्र कहा जा सकता है। इसमें आपने विभिन्न कवियों द्वारा मॉं के संबंध में लिखी गई पंक्तियों को उद्धृत किया, वहीं दूसरी ओर मॉं के संबंध में जो अच्छे प्रकाशन हुए हैं, उनका भी उल्लेख किया। संक्षेप में यह भूमिका आपकी विस्तृत अध्ययनशीलता को दर्शाती थी। इससे एक अच्छे गद्य लेखक की आपकी प्रतिभा का भी पता चलता है।
1988 में जहाँ एक ओर मैंने अपनी पुस्तक ‘गीता-विचार’ माहेश्वर तिवारी जी को भेजी ,वहीं दूसरी ओर तेवरी काव्यांदोलन पुस्तक की समीक्षा भी उन दिनों सहकारी युग हिंदी साप्ताहिक में मेरे द्वारा लिखित थी । माहेश्वर तिवारी जी का सजगता से भरा हुआ पत्र प्राप्त हुआ । पत्र इस प्रकार है :-
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प्रकाश भवन ,गोकुलदास रोड ,मुरादाबाद 244001
10-3-88
प्रिय भाई रवि प्रकाश जी
स्नेहाशीष
गीता-विचार की प्रति मिली । सबसे पहले उसके प्रकाशन पर मेरी तरफ से बधाई एवं शुभकामनाएँ स्वीकारें । विस्तृत प्रतिक्रिया बाद में भेजूँगा ।
इस बीच सहकारी युग के ताजा अंक में तेवरी-चर्चा पर आपकी समीक्षा पढ़ी। बेहद संतुलित लगी । बहस के अंत की जहाँ चर्चा की है ,वहाँ समाप्ति के लिए मुझे कोई बहाना चाहिए था क्योंकि दूसरा पक्ष जिस तरह कुछ भी मानने को तैयार नहीं था ,उससे बहस खींचने से भी कोई लाभ नहीं होता । आशा है स्वस्थ सानंद हैं ।
शुभाकांक्षी
माहेश्वर तिवारी
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वर्ष 2021 में दयानंद डिग्री कॉलेज, मुरादाबाद के वार्षिकोत्सव में जाना हुआ था। समारोह की समाप्ति के पश्चात काफी देर तक मैं और मेरी पत्नी श्रीमती मंजुल रानी की माहेश्वर तिवारी जी से बातचीत हुई। सहकारी युग हिंदी साप्ताहिक के दौर में महेंद्र जी के साथ अपने संपर्कों का स्मरण करते हुए माहेश्वर तिवारी जी भावुक हो गए थे।
सीआरपीएफ ,रामपुर के सभागार में बहुत पहले एक कवि सम्मेलन हुआ था। उसमें मंच पर बैठे हुए कवियों को देखकर एक कवि की स्वाभिमान से भरी हुई भाव-भंगिमा उनके माहेश्वर तिवारी होने का संकेत दे रही थी ।.मेरा अनुमान सही निकला । यह माहेश्वर तिवारी ही थे ।
सदैव अनुशासन में जीने वाले ,नपी-तुली बात कहकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने में पारंगत ,क्षुद्र विवादों तथा व्यक्तिगत कलुषताओं से दूर रहने वाले उन जैसे संत-कवि उंगलियों पर गिनने लायक होते हैं ।
16 अप्रैल 2024 मंगलवार को आपके निधन का समाचार आपके हजारों लाखों प्रशंसकों के साथ-साथ मुझे भी व्यथित कर गया। कुछ समय पहले कविवर योगेंद्र वर्मा व्योम जी की दोहा काव्य कृति उगें हरे संवाद का लोकार्पण आपके घर पर ही हुआ था। उस कार्यक्रम के चित्र देखकर आपकी अस्वस्थता के कारण कुछ आशंका होने लगी थी। शरीर सदा नहीं रहता, लेकिन अपनी आत्मीयता का जिस प्रकार से आपने संसार-भर में विस्तार किया; वह हवाओं में खुशबू की तरह सदैव विद्यमान रहेगी। आपको शत-शत नमन !
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अंत में श्रद्धांजलि स्वरुप एक कुंडलिया:-
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माहेश्वर तिवारी जी: शत-शत नमन (कुंडलिया)
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गाते थे नवगीत ज्यों, पक्षी करे विहार
माहेश्वर जी रच गए, मृदु रचना-संसार
मृदु रचना-संसार, मुरादाबाद बसाया
पीतल का था लोक, स्वर्ण-जैसा चमकाया
कहते रवि कविराय, युगों में ऋषि यों आते
भीतर से संगीत, फूटता जो वह गाते
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लेखक ‘रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451