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30 Jul 2024 · 1 min read

माहिया

माहिया

अपना होता प्यारा
चाहे जैसा भी
फिर भी वह है तारा।

मनमोहक मानव है
दिल होता जिसका
निर्मल स्वच्छ धवल है।

जो हरियाली लाता
अपनी बातों से
सबको खुश कर जाता।

जो शीतलता लाता
वह पावन सरिता
जैसा बहता जाता ।

गुटबंदी से जो जन
प्रेम नहीं रखता
वह है अति प्रिय सज्जन।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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