माहिया
मधुशाला(माहिया)
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1
सुनहरी बालों वाली,
मृग सी चाल चले,
हो मेरी घरवाली।
2
जुल्फें हों घनी भारी,
नजर नशीली सी,
हृदय पर चले आरी।
3
गौरी – गौरी काया,
हँसी ठगती रहे,
काम आए न माया।
4
फूल सी है महकती,
अंग यौवन भरे,
अंगार सी दहकती।
5
गालों की रतनारी,
सदा खुश्बू महके,
परियों सी है नारी।
6
मनसीरत दीवाना,
आँखें मधुशाला,
चलता नहीं बहाना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)