माहिए
माहिए
पाणी दी टांकी है,
पहाड़ दी नारां,
सबना तो बांकी है।
रुत बसंत आई है,
आके मिल मित्रा,
दिल प्रीत समाई है।
अख जब से लाई है,
दिल का चैन गया,
जग की रुसवाई है।
दो दिन के मेले है,
चमक, हनेरा है,
सुख -दुख के रेले है।
बुरा यह जमाना है,
मिलने आ सजना,
यह प्रेम पुराना है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश।