मासूम बेटियाँ
********* मासूम बेटियाँ ********
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फूल सी नाजुक मासूम होती हैं बेटियाँ
कायनात पर नियामत होती है बेटियाँ
संवेदनशील होता है स्वभाव निराला
संयमित मान मर्यादित होती है बेटियाँ
बेटों सी नहीं मिलती आजादी जीने की
बंदिशों की बेड़ियों मे जकड़ी हैं बेटियाँ
अवसर न मिलता कभी आगे बढने का
बेटों से कहीं कमतर न होती हैं बेटियाँ
आन बान और शान की प्रतीक होती हैं
घर आंगन का श्रृँगार होती हैं बेटियाँ
हर रिश्ते में पुरुषों का सदा रौब सहती
माँ,बहन,पत्नी,बेटी रूप होती हैं बेटियाँ
गिद्ध सी बुरी नर नजर सदा रखते आए
फिर भी दोषी ठहराई जाती हैं बेटियाँ
ईज्जत से सदा खेलता है मानव पौरुष
ईज्जत की प्रहरी मानी जाती हैं बेटियाँ
बेटी बचाओ बेटी पढाओ नारा लगाया
गर्भ के अन्दर ही मारी जाती हैं बेटियाँ
कब तक जहान में जुल्मोसितम सहेंगी
स्वतंत्रता में कभी सांस लेंगी ये बेटियाँ
कहते हैं जमाना बहुत बदल गया सुख
मनोविनोद ,मनोरंजक होती हैं बेटियाँ
दरिंदों की बुरी नजर से बच नहीं पाती
दरिंदगी का शिकार भी होती हैं बेटियाँ
औरत ही औरत की दुश्मन बन बैठी
दहेज अग्नि में जलाई जाती हैं बेटियाँ
मायके ससुराल में सबका ख्याल रखती
मनसीरत पराया धन कहलाती हैं बेटियाँ
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)