मासूम आँखों में
मासूम आँखों में कोई ख्वाब सजायें चलो
उनका बचपन उन्हें वापस दिलायें चलो
मुफलिसी ने जिन्हे मजदूर बना डाला
उन नन्हें हाथों में किताबें थमायें चलो
यह आज के दीपक कल का सूरज बनेंगे
उनके दिल में हौसलों की लौ जलायें चलो
‘अर्श’