मासूमियत
लबों की चुप्पी दिलों की दूरियों का सबब न बन जाए ,
बाहम सी गुफ्तगू राब्ते के लिए ज़रूरी है ,
अश्कों को खुल के बहने दो दिल के गुबार धुल जाएंगे,
जज़्बातों को ज़ाहिर करो गिले-शिक़वे मिट जाएंगे ,
ज़ब्ते ग़म का एहसास दिल में पैवस्त हो नासूर ना बन जाए ,
जिंदगी में अन्जान मासूमियत एक सजा बनकर ना रह जाए,